- हेलो फ्रेंड्स हम हाजिर हैं आज की अपडेट्स लेकर….
- मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। सेना और अर्द्धसैनिक बल राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। मणिपुर की राज्यपाल ने मणिपुर के लोगों से शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने का अनुरोध किया है।
- स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा-नीट 2023 शुरू हो गई है। यह परीक्षा पूरे देश के विभिन्न शहरों के अलग-अलग केन्द्रों और देश के बाहर 14 शहरों में दोपहर दो बजे से शाम पांच बजकर बीस मिनट के बीच आयोजित की गई ।
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने आज आयोजित होने वाली नीट-2023 की परीक्षा केवल उन उम्मीदवारों के लिए स्थगित कर दी है जिनके परीक्षा केन्द्र मणिपुर में हैं। यह निर्णय राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर मणिपुर सरकार के अनुरोध पर लिया गया है। एनटीए ने कहा है कि इन उम्मीदवारों के लिए परीक्षा की नई तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। उम्मीदवार, परीक्षा से संबंधित किसी भी स्पष्टीकरण के लिए टेलीफोन नंबर 0 1 1 – 4 0 7 5 9 0 0 0 पर संपर्क कर सकते हैं या [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं। उम्मीदवारों को नवीनतम जानकारी के लिए एनटीए की आधिकारिक वेबसाइटों पर जाने की सलाह भी दी गई है
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नीट (यूजी) परीक्षा 2023, भारत भर के मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेदिक और होम्योपैथी कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 7 मई 2023 को दोपहर 2 बजे आयोजित की गई सभी श्रेणियों में लगभग 8,880 उम्मीदवार उदयपुर परीक्षा में शामिल होंगे। परीक्षा उदयपुर जिले के 19 केंद्रों पर आयोजित की गई
- भारत और बांग्लादेश के बीच कल सिलहट के कंपनीगंज उपजिले के अंतर्गत भोलागंज में एक नई सीमा हाट का उद्घाटन किया गया। इस हाट के शुरू होने से दोनों देशों के बीच व्यापार और आपसी संबंधों में वृद्धि होगी। यह हाट बुधवार और शनिवार को सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक खुली रहेगी। इस हाट में कुल 26 भारतीय स्टाल और 24 बांग्लादेश के स्टाल लगाने की अनुमति होगी। सीमा के पांच किलोमीटर की परिधि में रहने वाले लोग इस हाट का प्रयोग कर सकेंगे। इसके लिए विशेष कार्ड जारी किया जाएगा। हाट में बिकने वाला सामान ड्यूटी फ्री होगा।
- सिलहट प्रभाग में यह चौथी सीमा हाट है। इनमें से तीन हाट पहले से चल रही हैं। इसी प्रभाग में तीन और सीमा हाट खोलने की योजना है। पहली सीमा हाट की शुरुआत वर्ष 2011 में मेघालय के कलईचार में पश्चिमी गॉरो हिल्स जिले में और बांग्लादेश के कुरिग्राम में की गई थी। पर्यवेक्षक अनुसंधान प्रतिष्ठान द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार सीमा हाट के खुलने से दोनों देशों के लोगों को पुराने पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर मिलता है
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विश्व थैलेसीमिया दिवस: 08 मई
- थैलेसीमिया इंडिया के अनुमान के मुताबिक़ देश में हर साल 10,000 बच्चे बीटा थैलेसीमिया बीमारी के साथ पैदा होते हैं.
- यह एक जेनेटिक बीमारी है और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद ही पता चलता है.
- थैलेसीमिया मेजर को एक महीने ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना पड़ता है.
- बीमार के शरीर का पूरा विकास नहीं होता. हड्डियों में विकार होता और हो सकता है कि बच्चा मंदबुद्धि रहे
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन के अलावा बोन मैरो ट्रांसप्लांट के ज़रिए इनका स्थायी इलाज कराया जा सकता है.
- शादी के वक़्त ब्लड जांच कराने की सलाह डॉक्टर देते हैं ताकि बीमारी का पहले से पता चल सके.
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थैलेसीमिया बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल आठ मई को थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है.
थैलेसीमिया इंडिया के मुताबिक़ हर साल में 10,000 बच्चे बीटा थैलेसीमिया बीमारी के साथ पैदा होते हैं और उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत पड़ती है.
डॉ बताते हैं कि बीटा थैलेसीमिया एक प्रकार से एनीमिया की तरह है जिसमें महिलाओं या पुरुषो में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है.
अगर एनीमिया की बात करें तो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) के मुताबिक़ 15-49 उम्र की 57 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. वहीं 6-59 महीने के 67.1 प्रतिशत बच्चे एनीमिया का शिकार हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, पांच साल के बच्चों का हीमोग्लोबिन 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर (gm/dl) से ज़्यादा होना चाहिए.
अगर वो सात(gm/dl) या उससे कम है तो वो सीवियर (गंभीर) एनीमिया माना जाता है.
सामान्य तौर पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) का जीवनकाल 120 दिन का होता है लेकिन मरीज़ अगर थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित होता है तो उनमें आरबीसी ये साइकिल पूरी नहीं कर पाते और उसकी वजह से ख़ून की कमी हो जाती है.”
डॉ बताते हैं कि थैलेसीमिया एक जेनेटिक बीमारी है और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद ही पता चलता है.
थैलेसीमिया तीन प्रकार के होते हैं जिसमें थैल -माइनर, थैल-इंटरमीडिया और थैल- मेजर है. ये एक जेनेटिक बीमारी है यानी एक बच्चे को थैलेसीमिया अपने माता-पिता से मिलता है.
डॉ कहती हैं, “हमारे शरीर में 46 क्रोमोसोम है यानी 23 का जोड़ा होता है. इसका मतलब है उसमें दो-दो क्रोमोसोम होंगे. वहीं बच्चे में क्रोमोसोम माता-पिता से जाते हैं.”
“अब इन क्रोमोसोम में अगर जीन सामान्य है तो कोई दिक्क़त नहीं होगी लेकिन इसमें माता या पिता में से किसी एक के भी क्रोमोसोम में दिक्क़त होगी तो वो थैलेसीमिया के कैरियर बन जाएंगे.”
अगर पति और पत्नी दोनों थैलेसीमिया के कैरियर हैं तो बच्चों के थैलेसीमिया मेजर होने की 25 फ़ीसद जबकि उनमें कैरियर बनने की 50 फीसद आशंका होती है. वहीं बच्चे सामान्य होंगे, इसकी संभावना 25 फीसद होती है.
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डॉक्टरों के अनुसार, “आप थैलेसीमिया माइनर से प्रभावित लोगों को देखकर नहीं पहचान सकते लेकिन थैलेसीमिया इंटरमीडिया और मेजर को देखकर पहचाना जा सकता है.”
अगर कोई थैलेसीमिया इंटरमीडिया है तो उन्हें ब्लड ट्रांसफ़्यूजन की कभी-कभी ज़रूरत पड़ती है लेकिन उनके शारीरिक विकास पर असर पड़ता है.
वहीं जो थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित होते हैं उन्हें एक महीने या उससे कम दिनों यानी मरीज़ की स्थिति के अनुसार ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना पड़ता है.
हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में ऑक्सीजन के संचार का माध्यम होता है. जब हीमोग्लोबिन कम होता है तो ऑक्सीजन भी शरीर तक नहीं पहुंच पाता है.
ऐसे में इसकी कमी से मरीज़ की हड्डियों में विकार आ जाता है, चेहरे के जबड़े या स्कल (खोपड़ी) के आकार पर असर पड़ता है.
शरीर का पूरा विकास नहीं होता और वहीं मंदबुद्धि की समस्या भी हो सकती है.
साथ ही इसमें शरीर पीला पड़ना, थकान होना, कमज़ोरी महसूस करना आदि भी इसके लक्षण हैं, लेकिन छोटे बच्चों में जब तक जांच न हो उसका पता लगाना कई बार अभिभावकों के लिए मुश्किल हो जाता है.
डॉक्टर ये सलाह देते हैं कि अभिभावकों या युवाओं को शादी से पहले थैलेसीमिया का टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए.
डॉ कहते हैं कि भारत में थैलेसीमिया की जांच को लेकर डॉक्टर भी जागरूक नहीं है. हालांकि एड्स जैसी बीमारी की जांच होती है लेकिन आप ये सोचिए कि ग्रीस, ईरान, सीरिया जैसे युद्ध प्रभावित देश तक में थैलेसीमिया कंट्रोल प्रोग्राम लागू हैं और वहां भी शादी से पहले इसकी जांच होती है.
हालांकि वो कहते हैं कि सरकार की तरफ से कई पहल की गई जैसे सरकारी अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन मुफ़्त करा सकते हैं, वहीं निजी अस्पतालों में उन्हें इलाज के लिए सब्सिडी मिलती है.
ट्रांसफ़्यूजन के एवज में ऐसे मरीज के परिजनों को साल में केवल एक दो बार रक्त दान देने के लिए कहा जाता है ताकि उन्हें परेशानी से बचाया जा सके.
डॉ के अनुसार, “ट्रांसफ्यूजन के बाद ये देखा जाता है कि आयरन डिपोसिट होने लगता है जिससे कुछ सालों में भी परेशानियां आने लगती हैं जैसे त्वचा काली पड़ने लगती है, हड्डियां कमज़ोर पड़ने लगती है. बच्चों में किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक विकास पर असर पड़ता है. ये थाइरॉयड पर प्रभाव डालता. वहीं लीवर और हर्ट में भी आयरन डीपोसिट होने लगता है.”
इस पर काबू पाने के लिए दवाइयां दी जाती हैं ताकि आयरन डीपोज़िट के होने वाले कुप्रभावों को कम किया जा सके.”
वहीं गर्भवती महिला में भी जांच करके पता लगाया जा सकता है कि बच्चा इससे पीड़ित है कि नहीं लेकिन इसे लगभग 20 हफ़्ते के भीतर जांच करा लेनी चाहिए.
डॉक्टर बताते हैं, “हम अभिभावकों को बता देते हैं अगर बच्चा मेजर है तो उसे उम्र भर ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना होगा. ये एक तरह का विकार ही होता लेकिन उसका इलाज चलता रहेगा. ऐसे में कई बार अभिभावक गर्भपात कराने का फ़ैसला भी ले लेते हैं.”
गर इलाज सही चलता रहे तो ये लोग लंबी जिंदगी जीते हैं. वहीं बोन मैरो ट्रांसप्लांट के ज़रिए इनका स्थायी इलाज कराया जा सकता है.
ये बोन मैरो, मरीज के भाई बहन से लेकर, पीड़ित बच्चे में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.
गर्मी बढ़ने के साथ दोपहर के वक़्त बाहर निकलने को मजबूर कामकाजी लोगों, छात्रों और खुले में रहने वाले लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं. डॉक्टरों के मुताबिक कुछ सावधानियों के जरिए लोग ख़ुद को सुरक्षित रख सकते हैं.अगर गर्मी है, तो सबके लिए है. मौसम की नज़र में सब लोग बराबर हैं. लेकिन मौसम की तपिश का असर सभी पर एक सा नहीं होता.कुछ लोगों के पास गर्मी से राहत पाने के साधन होते हैं लेकिन कुछ के पास इसकी कमी होती है. वहीं, सबका स्वास्थ्य भी एक जैसा नहीं होता है इसलिए असर भी अलग-अलग होता है.
लेकिन, डॉक्टरों के पास ऐसी ज़रूरी सलाह हैं जिससे गर्मी बढ़ने के साथ आप इसकी चपेट में आने से बच सकते हैं. यानी सामान्य से अधिक तापमान के दौरान ख़ुद को बचा सकते हैं.
गर्मी में सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, अपने शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना. पसीना आने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का ह्रास होता है. इसके लिए बाजार में कई तरह के इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन मिलते हैं, लोग इसे ले सकते हैं.
इसके अलावा मौसमी फलों जैसे कि तरबूज इसका बहुत अच्छा स्रोत है. इसका सेवन करना चाहिए. बने-बनाए ओआरएस अपने पास रख सकते हैं. नींबू पानी, नारियल-पानी और वैसे फल ज़्यादा से ज़्यादा खाने चाहिए जिनमें पानी की मात्रा होती है. इसके साथ ही मौसमी सब्जियों का सेवन शरीर को ठीक रखने के लिए ज़रूरी है.
अगर बजट में जूस फिट नहीं बैठता हो और बने-बनाए ओआरएस ख़रीदने की स्थिति में नहीं हों तो नमक-चीनी का घोल बेहद ज़रूरी हो जाता है. यह आसानी से बनाया भी जा सकता है और इसमें ख़र्चा भी नहीं है.
वहीं, छाछ भी अच्छा विकल्प है क्योंकि इससे पोटाशियम मिल जाता है. शरीर में सोडियम और पोटाशियम सॉल्ट की मात्रा का संतुलन रहना बेहद ज़रूरी होता है. धूप में बाहर निकलने और पसीना आने की स्थिति में शरीर के लिए ये दोनों तत्व अहम हो जाते हैं. हालांकि, जो लोग किडनी या दिल की बीमारी से ग्रसित हैं, वे डॉक्टर की सलाह से ही कोई उपाय अपनाएं.
गर्मी से बचने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनकर निकलें ताकि वो ज़्यादा गर्मी ना सताए.
सूती कपड़े पहनना भी अच्छा विकल्प है. जो लोग शारीरिक रूप से थकने वाला काम ज़्यादा करते हैं, उन्हें ओआरआस ज़रूर पीना चाहिए.
सिर में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, चक्कर आना, मांस पेशियों में खिंचाव, मितली जैसा महसूस होना इसके अहम लक्षण हैं.
अगर किसी को ऐसा महसूस हो तो तुरंत छांव या ठंडे स्थान में जाएं. पंखे या एसी में जा सकते हैं तो बेहतर है. पेड़ की छाया में भी बैठ सकते हैं. पानी और ओआरएस पी सकते हैं.
अगर किसी को लग रहा हो कि उसके शरीर से पसीना आना बंद हो गया है और बुखार, चक्कर आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए. डॉक्टरों की सलाह पर ही दवाई
इस बार गणतंत्र दिवस पर एक नया इतिहास बनने जा रहा है. जानकारी के मुताबिक 26 जनवरी 2024 को कर्तव्य पथ पर परेड केवल महिलाएं करती दिखेंगी. यहां तक कि परेड, मार्चिंग दस्ता, झांकी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भी सिर्फ महिलाएं ही नजर आएंगी. रक्षा मंत्रालय के एक प्रस्ताव में कहा गया कि विस्तृ विस्तृत विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि गणतंत्र दिवस 2024 में महिलाओं की भागीदारी होगी.
रक्षा मंत्रालय ने इस मामले में समय रहते ही गृह मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों को जानकारी दे दी है ताकि सब तैयारियां समय पर पूरी हो सकें. हाल के सालों में सेना और अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है. उन्हें लड़ाकू भूमिका से लेकर कमान तक दी जा रही है. वायुसेना में महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं. नौसेना में भी महिलाओं की युद्धपोत पर तैनाती हो रही है… थल सेना में महिलाओं के लिये धीरे-धीरे नए दरवाज़े खोले जा रहे है जैसे हाल ही में तोपखाना रेजिमेंट में उन्हें कमान दी गई है. कई जानकारों का मानना है कि सरकार के फ़ैसले से परेड का स्वरूप पूरी तरह बदला हुआ नज़र आएगा.
रविवार झील श्रमदान को पंहुचे झील प्रेमियों को पानी सतह पर भारी मात्रा मे घरेलू कचरा मिला। इस कचरे मे मुख्यतया शेम्पू, सर्फ, तंबाकू, नमकीन, वेफर्स के प्लास्टिक पाउच, बीयर केन, शराब की बोतलें, डिस्पोजेबल ग्लास, मिनरल वाटर बोतलें, बची हुई दवाइयाँ, पूजा सामग्री, पुराने कपड़े इत्यादि थे।
झील प्रेमियों ने लगभग सौ प्रतिशत साक्षरता वाले शहर मे झीलों के साथ हो रहे ऐसे व्यहवार पर क्षोभ व्यक्त किया। कि कोई भी समझदार व्यक्ति अपने पीने के पानी के पात्र मे गंदगी नही डालता है लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि पेयजल की झीलों मे इतना कचरा विसर्जित हो रहा है। झीलों मे कपड़े धोने वाले डिटरजेंट का प्रयोग कर रहे हैं। इससे खरपतवार बढ़ रही है व झील दूषित हो रही है। जागरूक नागरिक शक्ति ही झीलों को बचा सकती है।उदयपुर को यह समझना होगा कि झीलें डस्टबिन नही है। जीवनदायी जलस्रोत मे कचरा डाल हम बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं। झीलों मे कचरा डालना कानूनी व नैतिक रूप से मानवता के साथ अपराध है। कचरा विसर्जनकर्ताओं को रोकना चाहिए।
- आज #विश्व ऐथलेटिक्स दिवस मनाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के बीच फिटनेस के प्रति जागरूकता फैलाना और युवाओं तथा स्कूली बच्चों को खेल की ओर प्रेरित करना है। इस वर्ष विश्व ऐथलेटिक्स दिवस की मुख्य विषय-वस्तु ऐथलेटिक्स फॉर ऑल-ए न्यू बिगनिंग है।
- ताशकंद में पुरुषों की विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मोहम्मद हुसामुद्दीन 57 किलोग्राम में रूस के सैविन इडवाड को पांच-शून्य से हराकर क्वार्टर फाइनल में पहुंच गए हैं। क्वार्टर फाइनल में हुसामुद्दीन का मुकाबला बल्गारिया के जेविर इबानेस से होगा। वहीं 51 किलोग्राम में दीपक बोहरिया ने ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साकिन बिबोसिवोन को पांच-दो से हराकर प्री-क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है।
- मौसम
- गाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व और इससे सटे दक्षिण अंडमान सागर में चक्रवात बना है। इसके असर से इस क्षेत्र में कल कम दबाव का क्षेत्र बनने की आशंका है। मौसम विभाग ने कहा है कि मंगलवार तक बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व और दक्षिणी अंडमान सागर में गहरे दबाव का क्षेत्र बनने की आशंका है। इसके बाद यह दबाव चक्रवाती तूफान में बदल कर बंगाल की खाड़ी के मध्य और उत्तरी अंडमान सागर की ओर बढ़ सकता है। मौसम विभाग ने कहा है कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। इसके असर से 10-11 मई को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बहुत तेज वर्षा की आशंका व्यक्त की गई है।मौसम विभाग ने इस महीने की नौ तारीख से मछुआरों, छोटे जहाजों और नौकाओं को बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के आसपास के क्षेत्रों में नहीं जाने की सलाह दी है।
- नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, फरीदाबाद समेत पूरे एनसीआर में रविवार शाम को एक बार फिर धूल भरी आंधी और झमाझम बारिश से मौसम सुहाना हो गया। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में दिन में ही अंधेरा और काले घने बादल छा रहे हैं। मई के मौसम में लोगों को जनवरी जैसी ठंडक महसूस हो रही है। हालांकि अब धीरे-धीरे दिल्ली-एनसीआर में तापमान में बढ़ोतरी होगी। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि लोकल डिस्टर्बेंस की वजह से ऐसा मौसम हुआ है। फिलहाल सोमवार को आसमान साफ रहेगा। तेज धूप होगी। गर्म हवाओं का प्रकोप बना रहेगा। दिन और रात दोनों के तापमान में बढ़ोतरी होगी। रविवार को अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस रहा।।
- | प्रदेश में मौसम के मिजाज में बदलाव जारी है। कई दिनों आंधी बारिश के बाद अब अधिकतम तापमान में वृद्धि देखने को मिल रही हैमौसम विभाग के अनुसार अगले तीन दिनों में अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने और 9 मई तक कुछ भागों में अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज होने की संभावना जताई गई है।
- पिछले 24 घंटों के दौरान उदयपुर शहर का तापमान रहा अधिकतम 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस
- तो ये थीं अब तक की अपडेट्स हम फिर आएंगे और अपडेट्स लेकर बने रहिए हमारे साथ…