• Fri. Mar 29th, 2024

Udaipur News

Udaipur News Today | Udaipur News Live | उदयपुर न्यूज़ | उदयपुर समाचार

Udaipur Latest News 12 July 2021| उ द य पु र की ता जा ख ब र News 12 July 2021 | उदयपुर की ता जा ख ब र News 12 July 2021

Byadmin

Jul 12, 2021
  • हेलो फ्रेंड्स हम हाजिर है आज की अपडेट्स लेकर….
  • देश में अब तक 37 करोड़ 73 लाख से अधिक कोविड-19 रोधी टीके लगाए गए।
  • संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से 13 अगस्त तक
  • राजस्थान में कल विभिन्न स्थानों पर बिजली गिरने से 20 लोगों की मौत हो गई।
  • ओडिशा में पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज से शुरू हो गई है।
  • राजसमंद की भावना जाट टोक्यो ओलंपिक की दौड़ चाल प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी।
  • आकाशीय बिजली से मरने वालों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से ₹200000 की अनुग्रह राशि दिए जाने की घोषणा की गई है।
  • क्वेरी
    क़ोरोना से ठीक होने के बाद किन बातों का ध्यान रखें ?
    विशेषज्ञ कहते हैं कोरोना संक्रमण लोगों को कई तरह से हो रहा है माइल्ड मॉडरेट या सीवयर। माइल्ड में लोग दवा लेकर घर पर ही ठीक हो जाते हैं मॉडरेट में 4 से 8 हफ्ते ठीक होने में लग जाते हैं सीवियर स्थिति के लोग आईसीयू में आते हैं और उन्हें फेफड़े की समस्या भी हो सकती है ठीक होने के तुरंत बाद भारी व्यायाम ना करें और ठीक होने के बाद कोई समस्या आ रही है जैसे सांस फूलना खांसी आदि तो अपने आप से दवा ना लें बल्कि पोस्ट कोविड-19 अस्पताल में जाकर दिखाएं बहुत तनाव ना लें हेल्थी खाना खाए कई लोगों के स्वाद और गंध भी चले जाते हैं ऐसे में घबराए नहीं कुछ ्वकत में ठीक हो जाएगा।
  • बिना मास्क के हम कब घूमना शुरू करेंगे?
    विशेषज्ञ बताते हैं पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना से जूझ रही है और इसके खत्म होने का इंतजार हो रहा है कि लोगों को मास्क से मुक्ति मिले । इसके लिए हम सबका दायित्व है कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें और वेकसीन जरूर लगवाएं क्योंकि मास्क इस समय हम कोरोना से बचने के लिए लगा रहे हैं लेकिन यह अन्य संक्रामक बीमारियों से भी बचाता है खासतौर पर प्रदूषण और धूल से हमारी रक्षा करता है इसलिए अगर मास्क को अपना लेंगे तो अन्य बीमारियों से भी दूर रहेंगे।
  • वैक्सीन की मिक्स डोज को कैसे समझें?
    विशेषज्ञ कहते हैं अलग-अलग डोज लगाने को लेकर जो शोध चल रहा है उसमें एक खुराक वेक्टर बेस और दूसरी खुराक एम आर एन ए वैक्सीन की दी गई ऐसा फैसला कुछ देशों में हुआ जब कुछ लोगों को पहली खुराक के बाद रिएक्शन हुए ऐसे में उन्हें दूसरी कंपनी की वेक्सीन लगाई गई इससे उन्हें कुछ रिएक्शन नहीं हुआ तब इससे एंटीबॉडी कितने बनते हैं कितने दिन तक शरीर में मौजूद रहेंगे आदि को लेकर ट्रायल किया जा रहा है लेकिन अभी यह प्रयोग में नहीं है।
  • वैक्सीन लगवाने से क्या हम पूरी तरह सुरक्षित हैं?
    विशेषज्ञ कहते हैं अभी हमारे देश में जो वैक्सीन लगाई जा रही है उसकी दोनों खुराक लगवानी है इसके अलावा हमारे पास खुद के भी वेक्सीन रूपी हथियार है जो हमें वायरस से बचाते हैं यह है मास्क, हाथों की सफाई रखना और सुरक्षित दूरी का पालन करना इनके पालन से हमारे सुरक्षित होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
  • जो वैक्सीन लगाई जा रही है क्या वह नए वेरिएंट पर भी प्रभावी है?
    विशेषज्ञ बताते हैं वायरस से संबंधित जो भी नई चीजें सामने आ रही हैं उन पर शोध हो रहे हैं जहां तक वैरीअंट पर प्रभाव की बात है अभी तक यह साबित हुआ है कि वैक्सीन सीवियरिटी को कम करती है नए वेरिएंट पर कितना काम करती है इसे लेकर शोध हो रहे हैं लेकिन हमें इस चक्कर में ना पढ़कर वैक्सीन की दोनों खुराक लेनी है इससे बीमारी की गंभीरता कम होती है।
  •  देश मे चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कार्य करने वाली स्वयं सेवी संस्था डॉक्टर फॉर यु ने उदयपुर जिले में कोरोना की तीसरी लहर आने से पूर्व तैयारी के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ सहयोग करने का प्रस्ताव दिया है
    मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी  ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टर फॉर यु के निदेशक  ने सम्पर्क कर उदयपुर जिले की चिकिसा सुविधाओं में मदद करने का प्रस्ताव दिया जिसे स्वीकार कर अनुमति दी गई है जिसके अन्तर्गत उक्त संस्था द्वारा जिले की सलूम्बर अस्पताल में 20 बेड,परसाद,सराड़ा,गोगुन्दा सी एच सी पर 10 बेड के आई सी यु स्तर के वार्ड बनवाये जाएंगे जिसमें सभी आवश्यक इक्यूपमेंट की व्यवस्था यह संस्था करेगी।साथ ही जहाँ आवश्यक होगा स्टाफ भी जैसे डॉक्टर,नर्सिंग कर्मी भी लगाए जाएंगे।इसके साथ ही संस्था द्वारा उदयपुर के ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा शिविर लगाकर नागरिको को चिकित्सा सुविधाये उपलब्ध करवाई जाएगी जिसमें कोरोना के एंटीजन टेस्ट भी चिकिसा विभाग के सहयोग से किये जायेंगेयह शिविर सप्ताह में छः दिन अलग अलग ग्राम पंचायतों में आयोजित किये जाएंगे जहाँ जरूरत होगी वहा दुबारा शिविर लगाया जाएगा।…
  • कल दिनांक 13 जुलाई 2021 को COVISHIELD के सेशन उदयपुर शहर में निम्नलिखित संस्थानों पर आयोजित किये जाएंगे ।
  • नोट: आरएनटी मेडिकल कॉलेज, सैटेलाइट से. 6 हिरण मगरी और जिला अस्पताल अम्बामाता में केवल 1st डोज़ ही ऑनलाइन स्लॉट बुक करने वालो को ही लगाई जाएगी ।
    (2nd डोज़ नही लगाई जाएगी)
  • 1. यूपीएचसी माँछला मगरा (केवल 2nd डोज़)
    2. सिटी डिस्पेंसरी सूरजपोल (केवल 2nd डोज़)
    3. यूपीएचसी आयड़ (केवल 2nd डोज़)
    4. यूपीएचसी जगदीश चौक (केवल 2nd डोज़)
    5. यूपीएचसी हाउसिंग बोर्ड (केवल 2nd डोज़)
    6. आरएनटी मेडिकल कॉलेज (केवल 1st डोज़)
    7. सैटेलाइट से. 6 हिरण मगरी (केवल 1st डोज़)
    8. जिला अस्पताल अम्बामाता (केवल 1st डोज़)
    9. अटल सभागार , हिरण मगरी से. 4 (1st और 2nd डोज़)
    10. विद्या भवन स्कूल फतेहपुरा (1st और 2nd डोज़)
    11. संत कंवर राम से. 14 (2nd डोज़)
    12. संत निरंकारी भवन चित्रकूट नगर (1st और 2nd डोज़…
  • Corona update Rajasthan today
    New cases:33
    Cumulative positive: 953159
    Active cases: 661
  • Corona update udaipur today
    New cases: 00
    Cumulative positive: 56280
    Cumulative discharged: 55423
    Active cases: 39
    Home isolated: 25
  • शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा लगातार दूसरे वर्ष कोरोना प्रोटोकॉल के चलते सांकेतिक तौर पर ही निकाली गई इसके तहत मंदिर पुजारी परिवार और कुछ सेवायतो की मौजूदगी में सांकेतिक रथ की मंदिर परिसर में ही परिक्रमा कराई गई इस दौरान निकट के मकानों में बड़ी संख्या में शहरवासियों ने पुष्प वर्षा की जहां पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की परंपरा 368 वर्ष पुरानी है वही उदयपुर में पिछले 25 वर्षों से रथ यात्रा निकाली जा रही है इसके लिए प्रशासन विशेष तैयारीयां करता है और विशाल रजत रथ को रस्सियों से भक्तगण खींच कर ले चलते हैं शुरुआत में मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य स्वर्ण झाड़ू से सड़क को बुहारने की परंपरा करते हैं इसके बाद रथ शहर की प्रमुख सड़कों से होकर पुनः मंदिर लौटता है‌ वहीं सेक्टर 7 स्थित जगन्नाथ धाम में भी मंदिर में ही भगवान ने भक्तों को दर्शन दिए।
  • मनोरंजन जगत से…
  • 1896 ,7 जुलाई मुंबई के एक मशहूर अखबार में विज्ञापन छपा जिसमें शहर वासियों को प्रसिद्ध होटल में सदी की महानतम उपलब्धि और दुनिया के सबसे बड़े चमत्कार को देखने के लिए बुलाया गया विज्ञापन के अनुसार शाम अलग-अलग समय पर चमत्कार को देखने वाली जनता को आने की अनुमति थी हर शो का टिकट ₹1 रखा गया जो उस समय के हिसाब से बड़ी रकम थी यह चमत्कार उपमहाद्वीप में चलचित्र की पहली प्रदर्शनी थी जिसे आज हम फिल्म के नाम से जानते हैं आज हिंदी में कई फिल्में बनती है जो हॉलीवुड से भी अधिक है। उस शाम शो देखने आए लोगों को नाच गाना डायलॉग या फास्ट एक्शन देखने को नहीं मिला बल्कि फिल्म का नाम था अराइवल ऑफ ट्रेन उस समय फिल्में एक ही घटना के बारे में होती थी फिल्मे रील्स की उन तरह होती थी जो प्रथम विश्वयुद्ध और उसके बाद कई सालों तक सिनेमाघरों में दिखाई जाती रही इन्हें बनाने और भारत तक लाने वाले दो फ्रांसीसी भाई लुइ और लुमियर थे जिनकी कंपनी सिनेमैटोग्राफी का नाम आज तक फिल्म निर्माण में होता है दोनों भाइयों ने 28 दिसंबर 1895 को पेरिस के एक कैफे में ऐसी फिल्में दिखाई थी वहां सफलता के बाद लंदन के रीजेंट स्ट्रीट पर भी अपने इस अविष्कार का सार्वजनिक प्रदर्शन किया था यहां फिल्म द अराइवल ऑफ अ ट्रेन एट ला सियोटेट स्टेशनथी। फिल्म में एक ट्रेन को स्टेशन में प्रवेश करते हुए दिखाया था फिल्म में हैरान कर देने वाला कुछ नहीं था बस एक ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर रूकती है जब लंदन में पहली बार यह बड़े पर्दे पर दिखाया गया तो दर्शकों को ऐसा लगा कि ट्रेन पर्दे से निकलकर उनकी तरफ आ रही है और वह कुछ ही पलों में उसके नीचे कुचले जाएंगे इस दौरान कुछ लोग दहशत से अपनी सीट से उठकर दरवाजे की तरफ दौड़ पड़े कुछ महिलाएं बेहोश हो गई और प्रशासन को इनकी देखरेख के लिए नर्सों को बुलाना पड़ा लुमियर बंधुओं ने अपनी अविष्कार को अन्य देशों में भी दिखाने का फैसला किया इसके लिए वे ऑस्ट्रेलिया रवाना हुए लेकिन रास्ते में मुंबई आ गया उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ समय रुक कर यहां भी अपनी फिल्मों को प्रदर्शित किया जाए । हर शो में 17 17 मीटर लंबी 6 फिल्में दिखाई जाती थी जो सामान्य दृश्यों का फिल्मांकन होती थी लेकिन लोगों के लिए यह बहुत दिलचस्प था क्योंकि इससे पहले उन्होंने ऐसी चीजें नहीं देखी थी यह फिल्में मुंबई के लोगों में काफी लोकप्रिय हुई और 3 दिनों तक इन्हें दोबारा दिखाया गया लोगों की दिलचस्पी और उत्साह को देखते हुए दर्शकों के लिए कुछ और नई फिल्में भी जोड़ दी गई इसके लोकप्रिय होने के बाद फिल्मों की संख्या फिर बढ़ा दी गई इस तरह यह सिलसिला जो 3 दिनों के लिए था 1 महीने तक जारी रहा इस दौरान पर्दा करने वाली महिलाओं और परिवार के साथ आने वालों की सुविधा के लिए बॉक्स की भी व्यवस्था की गई और टिकट की कीमत ₹2 तक विभिन्न सीटों के लिए कर दी गई फिल्मों की एक प्रदर्शन का यह सिलसिला 15 अगस्त 1896 तक चलता रहा उस उसी दौरान लुमियर बंधुओं द्वारा यह फिल्में दुनिया के अन्य देशों में भी दिखाई जा रही थी शायद लुमियर बंधु अपने अविष्कार का फल दुनिया के सभी जगहों पर जल्द से जल्द देखना चाहते थे ताकि दूसरे आविष्कारक इसका लाभ ना उठा ले शायद ऐसा होता क्योंकि अगले कुछ वर्षों में कई दूसरी फिल्म निर्माता कंपनी अपनी फिल्म में लेकर उपमहाद्वीप में आ गए जिनमें स्टुअर्ट ,हयूज़ आदि शामिल थे। कोलकाता में स्टीवंस ने अपनी फिल्में दिखाई अब लोगों को इन चलती फिरती तस्वीरों का चस्का लग गया इसलिए कुछ महीनों बाद यानी 4 जनवरी 1897 से मुंबई के थिएटर में फिल्मों का नियमित प्रदर्शन शुरू हो गया और जल्द ही इनमें बदलाव और अविष्कार भी किए गए कुछ ऐसी फिल्में भी दिखाई दे जो उपमहाद्वीप में ही बनाई गई थी साथ ही विदेशी फिल्मों का आयात भी जारी रहा इन फिल्मों के दर्शक अधिकांश ब्रिटिश या वे भारतीय होते थे जो अंग्रेजी समाज की जीवन शैली के शौकीन थे स्थानीय लोगों पर भी इन फिल्मों का बड़ा प्रभाव पड़ा इन्हीं में एक स्थानीय हरिश्चंद्र सखाराम भटवाडेकर थे जिन्होंने 1880 के आसपास मुंबई में अपना फोटोग्राफी स्टूडियो खोला था जब उन्होंने लुमियर बंधुओं की फिल्में देखी तो वे इसके जादू से मोहित हो गए और उन्होंने लंदन से एक मोशन पिक्चर कैमरा मंगवाया जो उपमहाद्वीप में आयात होने वाला शायद अपनी तरह का पहला कैमरा था इसकी मदद से उन्होंने दो पहलवानों की मुंबई के गार्डन में होने वाली कुश्ती को फिल्माया और प्रोसेसिंग के लिए लंदन भेज दिया इस बीच एक प्रोजेक्टर भी खरीद लिया और फिल्म जब लंदन से वापस आई तो इसका उन्होंने प्रदर्शन किया फिर दूसरी फिल्म भी बंदरों की ट्रेनिंग की विषय पर बनाई उसके बाद उन्होंने भारतीय छात्र के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में गणित में प्रमुख स्थान हासिल करने पर स्वदेश लौटने पर किए गए उसके स्वागत को फिल्माया और इसका प्रदर्शन किया उपमहाद्वीप के इतिहास में ये पहली न्यूज़ रील थी साल उन्नीस सौ में अन्य निर्माता ने भी भारत में फिल्म व्यवसाय शुरू किया इनकी फिल्मों में भारतीय दृश्य भी दिखाए जाते थे उनके बाद अन्य भारतीय भी इसी क्षेत्र की ओर रुख करने लगे कोलकाता की कंपनी ने भी 1905 में नियमित रूप से फिल्में बनाने की शुरुआत की जिन्हें आमतौर पर थियेटर में दिखाया जाता था बड़े शहरों में थिएटर थे तो छोटे शहरों में फिल्में अक्सर बगीचों या मैदानों में टेंट लगाकर दिखाई जाती थी चलता फिरता सिनेमा जल्द ही पूरे देश में लोकप्रिय हो गया।
  • देशभर में 12 सितंबर को नीट परीक्षा का आयोजन किया जाएगा
  •  सेंसेक्स
  • बीएसई सूचकांक 13 अंकों की गिरावट के साथ 52373 पर बंद हुआ।
    वहीं निफ्टी 3 अंकों की गिरावट लेकर 15693 रहा।
  • सर्राफा
    उदयपुर में आज दोनों कीमती धातुओं के भाव इस प्रकार रहे
    सोना 22 कैरेट 1 ग्राम ₹4579
    सोना 24 कैरेट 1 ग्राम 4808
    चांदी 1 किलो बार का भाव रहा ₹73800
  • मौसम
    दिन भर गर्मी और उमस का आलम रहा सुबह कुछ देर खंड वर्षा हुई जिससे गर्मी से राहत मिली शहर का तापमान रहा अधिकतम 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस
  • तो ये थीं अब तक की अपडेट्स हम फिर आएंगे और अपडेट्स लेकर बने रहिए हमारे साथ…

Leave a Reply

Your email address will not be published.