उदयपुर के हवाला गांव स्थित शिल्पग्राम परिसर में आयोजित होने वाले शिल्पग्राम उत्सव की तैयारियां अब अंतिम दौर में है. शिल्पग्राम में विभिन्न आर्टिजन की करीब 400 स्टॉल्स लगेंगी. इनमें हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित सैकड़ों आइटम्स की बिक्री होगी. इन आइटम्स में ज्वेलरी से लेकर खिलौने तक शामिल होंगे. इसके साथ ही हर वर्ग और उम्र के लोगों के लिए उपयोगी वस्तुएं मिलेंगी.हाट बाजार में प्रतिदिन हजारो लोग आते हैं. उत्सव में आगंतुकों के मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखा गया है. दिन के समय लगने वाले हाट बाजार में जहां लोग जमकर खरीदारी करेंगे, वहीं शाम को विश्व प्रसिद्ध कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियों का लुत्फ लेंगे. महोत्सव में आने वाले युवा पर्यटकों को भी अपनी कला का प्रदर्शन करने का पूरा अवसर प्रदान किया जाएगा.
दुनिया में प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों से होने वाला प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। पश्चिमी प्रशांत महासागर स्थित 11 किलोमीटर गहरी मारियाना ट्रेंच से लेकर माउंट एवरेस्ट की चोटी तक, पृथ्वी पर लगभग सभी जगह माइक्रोप्लास्टिक पाए गए हैं। अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े हमारे बादलों में भी मौजूद हैं और वे हमारे द्वारा खाए और पिए जाने वाली लगभग हर चीज को दूषित कर सकते हैं। जापान में शोधकर्ताओं ने माउंट फूजी और माउंट ओयामा पर चढ़ाई की और उनकी चोटियों पर छाई धुंध के पानी में माइक्रzोप्लास्टिक पाया।
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक हिरोशी ओकोची ने कहा, अगर प्लास्टिक वायु प्रदूषण के मुद्दे से सक्रिय रूप से नहीं निपटा गया, तो जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक जोखिम एक वास्तविकता बन सकते हैं। इससे भविष्य में अपरिवर्तनीय और गंभीर पर्यावरणीय क्षति हो सकती है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बादलों से पानी इकट्ठा करने के लिए माउंट फ़ूजी और माउंट ओयामा पर चढ़ाई की। फिर उन्होंने नमूनों के भौतिक और रासायनिक गुणों को निर्धारित करने के लिए उन पर उन्नत इमेजिंग तकनीक लागू की। शोधकर्ताओं ने हवा में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक में अलग-अलग प्रकार के नौ पॉलिमर और एक प्रकार के रबड़ की पहचान की, जिनका आकार 7.1 से 94.6 माइक्रोमीटर तक है। बादल के प्रत्येक लीटर पानी में प्लास्टिक के 6.7 से 13.9 टुकड़े पाए गए।
इसके अलावा ‘हाइड्रोफिलिक’ या जल-प्रेमी पॉलिमर भी प्रचुर मात्रा में थे। शोधकर्ताओं के अनुसार, इससे पता चलता है कि ये कण तेजी से बादल बनने की प्रक्रिया में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार जलवायु प्रणालियों में उनका योगदान महत्वपूर्ण होता हैं। ओकोची ने कहा, जब माइक्रोप्लास्टिक ऊपरी वायुमंडल में पहुंचते हैं और सूरज की रोशनी से पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में आते हैं,तब उनमें क्षय होने लगता है। इससे ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि होती है।
नए प्रमाणों ने माइक्रोप्लास्टिक को व्यापक पर्यावरणीय नुकसान के अलावा, हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य तथा कैंसर से जोड़ा है। माइक्रोप्लास्टिक हाल के वर्षों में सुर्खियों में आए हैं,क्योंकि उनके अनुचित निपटान के परिणामस्वरूप कई टन कचरा समुद्र में पहुंच गया है। हर साल प्लास्टिक कचरे की बहुत बड़ी मात्रा का पुनर्चक्रण नहीं होता। इसका मतलब यह है कि वह समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में मिल रहा है। कणों के अलग-अलग आकार के कारण वर्तमान जल प्रणालियां माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को प्रभावी ढंग से फिल्टर करने में असमर्थ हैं। प्लास्टिक हजारों वर्षों तक नष्ट नहीं होता और अनुमान है कि महासागरों में पहले से ही प्लास्टिक की लाखों वस्तुएं मौजूद हैं। भविष्य में यह संख्या और भी बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्लास्टिक के पुनर्चक्रण के लिए कठोर कदम नहीं उठाए गए तो दुनिया के महासागरों में प्लास्टिक कचरे की मात्रा 2050 तक मछलियों से अधिक हो जाएगी।
एक अन्य शोध से पता चला कि दुनिया का 80 प्रतिशत से अधिक नल का पानी प्लास्टिक से दूषित है। अमेरिका के मिनेसोटा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने पाया कि अमेरिका में पानी में प्लास्टिक प्रदूषण की दर 93 प्रतिशत है जो दुनिया में सबसे अधिक है। कुल मिलाकर दुनिया भर के दर्जनों देशों के 83 प्रतिशत पानी के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। बोतलबंद पानी एक सुरक्षित विकल्प नहीं हो सकता है, क्योंकि विज्ञानियों को उसमें भी दूषित नमूने मिले हैं।
एक अन्य अध्ययन से पता चला कि मनुष्य के शरीर में भी प्रतिदिन विषाक्त माइक्रोप्लास्टिक कण पहुंच रहे हैं। इन कणों की मात्रा इतनी अधिक है कि सप्ताह भर में एक पूरे क्रेडिट कार्ड जितना माइक्रोप्लास्टिक सांस के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है। ‘फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स’ पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों में चेतावनी दी गई है कि प्लास्टिक उत्पादों के क्षरण से उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म कण हमारी श्वसन प्रणाली सहित संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने श्वसन प्रणाली के ऊपरी वायुमार्ग में माइक्रोप्लास्टिककणों के परिवहन और जमाव का विश्लेषण करने के लिए एक कंप्यूटर मॉडल विकसित किया था। इस दल में सिडनी के प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी शामिल थे।
माइक्रोप्लास्टिक कण दरअसल प्लास्टिक के सूक्ष्म कण होते हैं जो आमतौर पर 5 मिलीमीटर से कम लंबाई के होते हैं। ज्यादातर ये कण लंबी अवधि में बड़े प्लास्टिक उत्पादों के विखंडन से उत्पन्न होते हैं। अत्यंत सूक्ष्म कणों को माइक्रोबीड्स भी कहा जाता है जिन्हें सौंदर्य उत्पादों और टुथपेस्ट आदि में प्रयुक्त किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से विज्ञानी लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि इन कणों से स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। इन कणों के बिस्फेनॉल और फेलेट्स जैसे रासायनिक घटक हार्मोनों को बाधित करने के लिए जाने जाते हैं। ये रसायन कैंसर, बांझपन और समय-पूर्व यौवन से जुड़े हुए हैं। हाल के अध्ययनों से यह भी पता चला है कि मानव वायुमार्ग की गहराई में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक श्वसन प्रणाली के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकते हैं।दुनिया में माइक्रोप्लास्टिक का उत्पादन बढ़ रहा है। हवा में माइक्रोप्लास्टिक का घनत्व काफी बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं ने धीमे और तेज सांस लेने की स्थिति में 1.6 से 5.56 माइक्रोन के विभिन्न माइक्रोप्लास्टिक कणों के प्रवाह का पता लगाया। नए अध्ययन में पाया गया कि विषाक्त प्रदूषकों वाले ये प्लास्टिक कण नाक की गुहा या गले के पीछे इकट्ठा होते हैं। उनके जमा होने की दर सांस लेने की स्थिति और कणों के आकार पर निर्भर करती है। वायुमार्ग की जटिल और अत्यधिक विषम संरचनात्मक आकृति तथा नाक की गुहा और गले के मध्य भाग में जटिल प्रवाह व्यवहार के कारण माइक्रोप्लास्टिक कण अपने प्रवाह पथ से विचलित हो जाते हैं और इन क्षेत्रों में जमा हो जाते हैं।
दुनियाभर में कई ऐसी खूबसूरत जगहें मौजूद हैं, जिन्हें स्वर्ग सा सुंदर माना जाता है. हाल ही में एक ऐसी ही जगह का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर लोगों को अपना दीवाना बना रही है, जिसे ‘जादुई’ घाटी के नाम से भी जाना जाता है. इस घाटी की खास बात ये है कि, यहां से होकर बहने वाली नदी मौसम के हिसाब से रंग बदलती है, जिसके चारों ओर का नजारा बेहद अद्भुत लगता है, जो किसी दूसरे ग्रह की तरह दिखता है. , ये खूबसूरत घाटी जोकुलडालुर इलाके में स्थित है, जिसे स्टुअलागिल नाम से भी जाना जाता है. यूं तो आइसलैंड को ‘आग और बर्फ’ की धरती कहा जाता है, लेकिन यहां की खूबसूरती को देखकर लोग इसके दीवाने हो जाते हैं. स्टुअलागिल अपनी बेसाल्ट चट्टानों और जोल्का नदी के लिए जानी जाती है. कहा जाता है कि, स्टुअलागिल घाटी आइसलैंड के छिपे हुए रत्नों में से एक है, जिसका निर्माण एक नदी के तेज बहाव के कारण हुआ था. यहां स्टडलाफॉस नाम का एक बेहद सुंदर झरना भी है. इस झरने और खूबसूरत घाटी को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं.दावा किया जाता है कि, आइसलैंड में बेसाल्ट कॉलम्स की सबसे अधिक संख्या यहीं है. इस घाटी से होकर बहने वाली नदी मौसम के हिसाब से रंग बदलती है. मार्च से जुलाई तक पानी का रंग नीला-हरा होता है और फिर जैसे-जैसे गर्मियों के आखिर तक ग्लेशियर से पिघला हुआ पानी बढ़ते-बढ़ते नदी का रंग हल्के भूरे रंग में बदल जाता है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर इस घाटी के वीडियो को @gunsnrosesgirl3 नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है. महज 27 सेकंड के इस वीडियो को अब तक 4.2 मिलियन लोग देख चुके हैं, जबकि 64 हजार से ज्यादा लोगों ने वीडियो को लाइक किया है.
वर्ष 2023 बीतने वाला है और नया साल यानी वर्ष 2024 दस्तक देने के तैयार है। नए साल को लेकर नई उम्मीदें होंगी, कुछ नए संकल्प होंगे। आप अपने अपनों को सबसे अनूठे अंदाज में शुभकामनाएं देना चाहते होंगे, अपने भविष्य के बारे में जानना चाहते होंगे………..
साल 2023 के आखिरी महीने के 16 दिन दिन बीत चुके हैं। यह महीना कुछ वित्तीय कामों को निपटाने का भी आखिरी महीना है। 31 दिसंबर को कई कामों की डेडलाइन समाप्त हो रही है। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक ने 31 दिसंबर,2023 तक बैंक लॉकर एग्रीमेंट का रिन्युअल अनिवार्य कर दिया है। अगर आप अपना बैंक लॉकर एग्रीमेंट रिन्यू नहीं करते हैं तो आपका बैंक लॉकर सीज हो जाएगा।
शाह रुख खान की फिल्म डंकी दो दिन बाद सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। दर्शकों के बीच फिल्म का लेकर काफी बज बना हुआ है। फिल्म के टीजर और ट्रेलर से लेकर गाने सभी दर्शकों को खूब पसंद आ रहे हैं। वहीं अब 18 दिसंबर को शाह रुख खान की फिल्म का नया गाना बंदा रिलीज हुआ है।डंकी की ट्रेलर के बाद फिल्म के तीन गाने ‘लूट पुट गया’, ‘निकले थे कभी हम घर से’ और ‘ओ माही’ रिलीज हो चुके है। वहीं आज मूवी का चौथा गाना ‘बंदा’ भी मेकर्स ने रिलीज कर दिया। बाकि गानों की तरह इस गाने को फैंस का ढेर सारा प्यार मिल रहा है। इस गाने की खास बात यह है कि इसे पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने गाया है।
शाह रुख खान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर इस गाने को शेयर करते हुए लिखा, तुम जो मांग लोगे दिल तो ये जान देगा बंदा….वादों का इरादों का और अपने यारों का यार और एक और यार दिलजीत दोसांझ पाजी ने इस गाने में जान भर दी है। हार्डी को सभी के प्यार के लिए बंदा बनाने के लिए धन्यवाद और प्यार पाजी। इस गाने में शाहरुख और तापसी के लिए दूसरों से लड़ाई करते हुए नजर आ रहे हैं।
बॉलीवुड एक्ट्रेस बिपाशा बसु और उनके पति करण ग्रोवर अपनी डेढ़ साल की बेटी देवी के साथ लेकसिटी पहुंचे। यहां शनिवार बीती रात को होटल में होटल की 120वीं वर्षगांठ के जश्न में शरीक हुए। इस मौके पर होटल में 111 फीट ऊंचा रेड कलर में सुंदर क्रिसमस ट्री बनाया गया। रंग-बिरंग लाइटिंग से जगमग यह क्रिसमस ट्री बेहद आकर्षण का केन्द्र रहा।शहर इन दिनों पर्यटकों से गुलज़ार नज़र आ रहा है। अब देशी-विदेशी सैलानियों के साथ बॉलीवुड कलाकार भी उदयपुर घूमने के लिए पहुंच रहे हैं। जहां 2 दिन उदयपुर में बिताने के बाद सोमवार को बिपाशा बसु और उनके पति करण ग्रोवर मुंबई के लिए रवाना हुए। यहाँ वे ताज़ अरावली की वर्षगांठ में शामिल हुए। इस दौरान काफी खूबसूरत माहौल नज़र आ रहा था। उनके वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।